पटनाः बिहार में छठ के पारंपरिक गीत हों या विवाह के मौके पर कानों में अक्सर सुनाई देने वाले गीत, इन गीतों का दूसरा नाम ही पद्मश्री शारदा सिन्हा कहा जाता है। शारदा कहती हैं कि बचपन में पटना में रहकर शिक्षा ले रही थी, स्कूल और कॉलेज के दिनों में गर्मी की छुट्टी होने पर अपने गांव हुलास जाती थी। वहाँ आम के अपने बगीचे या गाछी में दूसरी लड़कियों के साथ शौक से आम को अगोरने (रक्षा करने) जाती थी। इस दौरान रिश्तेदार लड़कियों के साथ लोक गीत गाना सीखा। हम बगीचे में दिन भर रहते और खूब लोक गीत गाती थी। कई बॉलीवुड फिल्मों में गा चुकीं हैं सॉन्ग्स…
– पर्व त्योहारों से लेकर दूसरे शुभ अवसरों पर इनके गाए गीत जहाँ एक ओर बिहार की लोक संस्कृति की सोंधी महक बिखेरते हैं वहीं यह गीत कानों में मिश्री घोलने का भी काम करते हैं।
– बिहार ही नहीं, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत मॉरीशस तक में इनके लोकगीतों को खासा पसंद किया जाता है।
– अपने गायन से बिहार के लोकगीतों को इन्होंने जन-जन तक पहुँचाने का काम ही नहीं किया है बल्कि इसे संरक्षित भी किया है।
– शारदा सिन्हा के बारे में आम तौर पर लोग जानते हैं कि वह मैथिली, भोजपुरी आदि भाषाओं की एक ख्याति प्राप्त लोक गायिका हैं।
– मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन जैसी चर्चित हिंदी फिल्मों में अपनी आवाज दे चुकी हैं। इनके गाए भजन घर से लेकर मंदिरों तक में सुनने को मिल जाते हैं।
– लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह कभी मणिपुरी नृत्य की एक अच्छी नृत्यांगना भी रह चुकी हैं। उन्होंने शास्त्रीय संगीत की भी उच्च शिक्षा प्रतिष्ठित गुरुओं से ली है।
– शारदा बताती हैं कि जन्म तब के सहरसा और अब के सुपौल जिले के हुलास गांव के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। पिता शुकदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी थे।
– शारदा कहती हैं कि बचपन पटना में बीता
– बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल की छात्रा रही बाद में मगध महिला कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से संगीत में एमए किया।
– समस्तीपुर के शिक्षण महाविद्यालय से बीएड किया। पढ़ाई के दौरान संगीत साधना से भी जुढ़ी रही। बचपन से ही नृत्य, गायन और मिमिकरी करती रहती थी, जिसने स्कूल-कॉलेज के दिनों में ही पहचान दिलाई।
तब हरि उप्पल सर ने मेरी आवाज सुन पूछा था कि रेडियो कहाँ बजा।
– शारदा सिन्हा अपने छात्र जीवन से जुड़ा अनुभव सुनाते हुए कहती हैं कि एक बार भारतीय नृत्य कला मंदिर में जब मैं शिक्षा ले रही थी तब एक दिन ऐसे ही सहेलियों के साथ गीत गा रही थी।
– इसे सुन हरि उप्पल सर छात्राओं से पूछा कि यहाँ रेडियो कहाँ बज रहा है। किसकी शरारत है कि यहाँ रेडियो लेकर आई है।
– सब ने कहा कि शारदा गा रही है, इसे सुन उन्होंने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया और टेप रिकार्डर ऑन कर कहा कि अब गाओ।
– मैंने गाना शुरू किया जिसे बाद में उन्होंने सुनाया। सुन कर मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इतना अच्छा गा सकती हूँ। मैंने पहली बार अपना ही गाया गाना रिकार्डे रूप में सुना था।