भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति पर काम काने वाली संस्था ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ द्वारा ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ आयोजन गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेहता ओ. पी. मोहन और नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. प्रसन्नांशु थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. अशोक लव ने की। मेहता ओ. पी. मोहन ने सर्व भाषा ट्रस्ट की नीतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस प्रकार भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की अवाधारणा पर सबको जोड़ना सिखाती है, उसी प्रकार ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ द्वारा भी सबको जोड़ा ही जा रहा है। बताते चलें कि ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ तीन सत्र में विभाजित था। प्रथम सत्र में प्रसिद्ध चित्रकार असगर अली की संस्था कलाभूमि द्वारा चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई थी तथा द्वितीय सत्र में न्यास की त्रैमासिक ई-पत्रिका ‘सर्व भाषा’ के प्रवेशांक का लोकार्पण किया गया। उक्त अवसर पर संपादक केशव मोहन पाण्डेय ने बताया कि पत्रिका के इस पहले अंक में ही 75 रचनाकारों की कुल सत्रह भाषाओं में रचनाएँ प्रकाशित हैं। उन्होंने आने वाले अंकों में और अधिक भाषाओं की सहभागिता की बात कही। ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ के अध्यक्ष डाॅ. अशोक लव ने ट्रस्ट के उद्देश्यों और गतिविधियों की बृहद् जानकारी देते हुए नेक काम में सबको जुड़ने की बात कही। पत्रिका के लोकार्पण के उपरांत डाॅ. राजीव कुमार पाण्डेय के हाइकु संग्रह ‘मन की पाँखे’ व लज्जाराम राघव ‘तरूण’ की दों पुस्तकें ‘आँखिन देखी लघुकथाएँ’ व ‘रूको तो सही एक बार’ का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के उसी क्रम में डाॅ. अशोक लव की चार बाल-साहित्य की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इसके उपरांत अतिथियों को सम्मानित किया गया। मेहता ओ पी मोहन को ‘राष्ट्र रत्न सम्मान’ से अलंकृत किया गया, वही शिक्षाविद् डाॅ. प्रसन्नांशु, फिल्म एक्सपर्ट उदयवीर सिंह सेनापति, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चतुवेर्दी, प्रदीप गुलाटी, जनबा फरहान परवेज व प्रफुल्ल गोयल को ‘सर्व भाषा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अगले क्रम में ‘मीडिया, भाषा और साहित्य’ विषय पर परिचर्चा आयोजित थी, जिसकी प्रस्तावना में डाॅ. प्रसन्नांशु ने बड़ी ही गहराई और तार्कित ढंग से मीडिया, भाषा और साहित्य के अन्तः संबंधों को बताया। फिल्म व मीडिया एक्सपर्ट उदयवीर सिंह ‘सेनापति’ ने मीडिया के लिए भाषा और साहित्य की नितांत आवश्कयता बताया। जयपुर से पधारे वयोवृद्ध पत्रकार अशोक चतुवेर्दी ने भाषा के विकास के साथ ही संवर्धन और साहित्य लेखन के साथ पठन पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सर्व भाषा ट्रस्ट के उद्देश्य और इसकी कल्पना पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। वक्ताओं के क्रम में प्रदीप गुलाटी ने सर्व भाषा संवर्धन की सोच को एक प्रेरणाप्रद सोच बताते हुए इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हर संभव सहयोग देने की बात कही। परिचर्चा सत्र के अतं में सर्व भाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष डाॅ. अशोक लव ने कहा कि सर्व भाषा का उद्देश्य जोड़ना है। हमारा प्रयास है कि हर एक व्यक्ति को हम जोड़े और सर्व भाषा, साहित्य, संस्कृति और कला के विकास के लिए काम करें। यह हमारा पहला प्रयास है। ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ का तीसरा सत्र ‘सर्व भाषा काव्य गोष्ठी’ था, जिसकी अध्यक्षता लोकप्रिय गजलगो अजय अज्ञात ने की तथा जिसमें राजभाषा के पूर्व उपनिदेशक डाॅ. सरोज कुमार त्रिपाठी, डोगरी साहित्यकार यशपाल निर्मल, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी का सानिध्य था। सर्व भाषा काव्य गोष्ठी में सम्मानित कवियों को ‘सर्व भाषा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उक्त कार्यक्रम में यशपाल निर्मल व केवल कुमार केवल जी, नैनीताल से नीलम नवीन नील, जयपुर से प. दीपक शास्त्री, मोतिहारी से जनबा गुलरेज शहजाद, पटियाला से विकास शर्मा ‘दक्ष’ आदि के अतिरिक्त जयशकंर प्रसाद द्विवेदी, जलज कुमार अनुपम, राजकुमार अनुरागी, लाल बिहारी लाल, राजकुमार श्रेष्ठ (नेपाली), डाॅ. दिग्विजय शर्मा ‘द्रोण’ (ब्रज), वरिश्ठ रचनाकार निलय उपाध्याय (हिंदी), इंदुमती मिश्रा, संदीप तोमर, डाॅ. दुर्गा चरण पाण्डेय, डाॅ. मनोज तिवारी, सत्यप्रकाश भरद्वाज, सुनीता अग्रवाल ‘नेह’, तरूणा पंुडीर, मोहन शास्त्री, सुनील सिन्हा, मनीश झा (मैथिली), श्री कुमार देवेन्द्र (हिंदी), सुरेन्द्र नारायण शर्मा, अजय अक्स, शशि त्यागी आदि को सम्मानित किया गया। ‘सर्व भाषा साहित्य उत्सव’ के प्रथम व द्वितीय सत्र का संचालन रेजीना मुखर्जी ने किया वहीं तृतीय सत्र का संचालन रीतिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अतं में ट्रस्ट की महासचिव रीता मिश्रा से सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।