LAUNCHING PROGRAMME OF ”FILM MAKING” BOOK BY UDAISENAPATI

नए फिल्म मेकरों के लिए कारगर साबित होगी पुस्तक “फिल्म मेकिंग” – उदय सेनापति सिनेमा अपनेआप में उदयोग का रूप ले चुका है। वैसे तो फिल्मों के कई विभाग हैं। जिनके लिये अलग-अलग लेखकों ने पुस्तक लिखी जैसे सिनेमाठोंग्राफी, म्युजिक, मेकप, आट डायेरक्शन तथा अन्य। मगर फिल्म निर्माण पर कोई पुस्तक नहीं थी। फिल्म निर्माताओं …

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कायस्थबोलता है – कलियुग में श्री चित्रगुप्त भगवान के नाम की प्रत्यक्ष महिमा, प्रसिद संगीतकार चित्रगुप्त श्रीवास्तव

‘‘राम से बडा राम का नाम’’ ये कहावत तो आप सबने सुनी ही होगी? सत्य भी है कि भगवान से बडा तो भगवान का नाम ही होता है। आज हम ऐसे ही एक महान कायस्थ का परिचय आप सभी को कराने जा रहे जिनके माता पिता की श्री चित्रगुप्त भगवान में इतनी ज्यादा आस्था थी …

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साधना सिंह

1982 में एक फिल्म आयी थी – ‘‘नदिया के पार’’। सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की मुख्य भूमिकाओं से सजी इस फिल्म की विषय वस्तु पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार पर केंद्रित थी और ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म का फिल्मांकन कुछ ऐसा था कि इसने सबका दिल जीत लिया.     इस फिल्म में …

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नजीर हुसैनः जंग-ए-मैदान में बहादुरी दिखाई तो अपने अभिनय का मनवाया लोहा

गाजीपुर। यूं तो गाजीपुर बहादुरों की धरती है लेकिन एक ऐसा भी शख्स था जो जंग-ए-मैदान में बहादुरी दिखाई तो अभिनय के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। पता है वह कौन शख्स था। आइए हम बताते हैं। वह थे नजीर हुसैन। गंगा पार कमसार के उसिया गांव में 15 मई 1922 को …

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महेंदर मिसिर

भोजपुरी के पहले उपन्यासकार थे पं. रामनाथ पंडिय, जिनके उपन्यास बिंदिया को भोजपुरी का प्रथम उपन्यास होने का गौरव प्राप्त है। इस प्रकार पांडेय जी भोजपुरी उपन्यास के इतिहास-पुरूष के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी कृतियाँ जिनगी के राह और सतवंती भी चर्चा के केंद्र में रही है। मगर सन् 1994 में प्रकाशित महेंदर मिसिर …

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रेड लाइट एरिया से पहली हीरोइन ढूंढने गए थे दादा साहब फाल्के, जानें जिंदगी से जुड़े 7 सच

बॉलीवुड में फिल्मों की शुरुआत करने वाले दादा साहब की आज 148वीं बर्थ एनिवर्सरी है। दादा साहब ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री की नींव रखी बल्कि बॉलीवुड को पहली हिंदी फिल्म भी दी जिसे लोग आज भी याद करते है। 19 साल के फिल्मी सफर में दादा साहब फाल्के ने 121 फिल्में बनाई जिसमें 26 …

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भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत श्याम श्वेत फिल्म से…

फिल्मों में भोजपुरी का आगमन यूं तो 1932 में बनी दूसरी बोलती फिल्म इंदरसभा से हो गया था। सांगीतिक फिल्म होने के नाते उसमें 72 गाने रखे गए थे। जिनमें दो भोजपुरी के थे। हम आज भी इस फिल्म के गीत ‘सुरतिया दिखाय जाओ ओ बाँके छैला’ और ‘ठाढ़े हूँ तोरे द्वार, बुलाले मोरे साजन …

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पॉलीवुड सिनेमा (भोजपुरी फिल्म) में 26 फरवरी का दिन महत्वपूर्ण क्यों है?

उतरः- 16 फरवरी 1962 को भोजपुरी भाषा की पहली फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ैबो’ का पटना के ऐतिहासिक शहीद स्मारक पर मुहूर्त संपन्न हुआ। चलिए अब पूर्वांचल फिल्म (पॉलीवुड सिनेमा) सफर में:- भोजपुरी सिनेमा १९६२ से शुरू हुई लेकिन भोजपुरिया छोक हिंदी फिल्मो में बहुत पहले से दिया जा रहा है जो आज तक …

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डा. राजेन्द्र प्रसाद

डा. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति थे। उनका जीवन सार्वजनिक इतिहास है। वह सादगी, सेवा, त्याग और देशभक्ति के प्रतिमूर्ति थे। स्वतंत्रता आन्दोलन में अपने आपको पुरी तरह से होम कर देने वाले राजेन्द्र बाबू अत्यंत सरल और गम्भीर प्रकृति के व्यक्ति थे। वह सभी वर्ग के लोगो से सामान्य व्यवहार रखते थे। …

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भोजपुरी सिनेमा

भोजपुरी सिनेमा ने भले ही 5 दशक से ज्यादा का सफर पूरा कर लिया है लेकिन उसके खाते में 10-12 बेहतरीन फिल्में भी नहीं है। हर साल 50 से ज्यादा भोजपुरी फिल्में बन रही हैं लेकिन हिन्दी फिल्मों की अंधी नकल की वजह से वह न तो प्योर भोजपुरी रह पाती है और न ही …

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